त्राय॑माणे विश्व॒जिते॑ मा॒ परि॑ देहि। विश्व॑जिद्द्वि॒पाच्च॒ सर्वं॑ नो॒ रक्ष॒ चतु॑ष्पा॒द्यच्च॑ नः॒ स्वम् ॥
पद पाठ
त्रायमाणे । विश्वऽजिते। मा । परि । देहि । विश्वऽजित् । द्विऽपात् । च । सर्वम् । न: । रक्ष । चतु:ऽपात् । यत् । च । न: । स्वम् ॥१०७.२॥
अथर्ववेद » काण्ड:6» सूक्त:107» पर्यायः:0» मन्त्र:2
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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
सब सुख की प्राप्ति के लिये उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (त्रायमाणे) हे त्रायमाणा, रक्षा करनेवाली ! (विश्वजिते) संसार के जीतनेवाले परमेश्वर को (मा) मुझे (परिदेहि) सौंप। (विश्वजित्) हे संसार के जीतनेवाले परमेश्वर (नः) हमारे (सर्वम्) सब... म० १ ॥२॥
भावार्थभाषाः - मनुष्य उत्तम घर और औषध के सेवन से परमेश्वर की आज्ञा पालन करके सब पदार्थों की यथावत् रक्षा करें ॥२॥
टिप्पणी: २−यथा व्याख्यातम्−म० १ ॥