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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
राजा के धर्म का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (विश्वमानुषः) संसार का प्रत्येक मनुष्य (यस्य ते) जिस तेरे (भूरेः) बड़े (दत्तस्य) दान का (वेदति) ज्ञान करे, (तत्) उस (स्पार्हम्) चाहने योग्य (वसु) धन को (आ भर) ले आ ॥३॥
भावार्थभाषाः - राजा को ऐसा दान करना चाहिये, जिससे समस्त संसार का उपकार होवे ॥३॥
टिप्पणी: ३−(यस्य) (ते) तव (विश्वमानुषः) विश्वस्य संसारस्य प्रत्येकमनुष्यः (भूरेः) प्रभूतस्य (दत्तस्य) दानस्य (वेदति) लेटि रूपम्। ज्ञानं कुर्यात्। अन्यत् पूर्ववत् ॥