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उद्गा आ॑ज॒दङ्गि॑रोभ्य आ॒विष्कृ॒ण्वन्गुहा॑ स॒तीः। अ॒र्वाञ्चं॑ नुनुदे व॒लम् ॥

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पद पाठ

अथर्ववेद » काण्ड:20» सूक्त:39» पर्यायः:0» मन्त्र:3


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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी

परमेश्वर की उपासना का उपदेश।

पदार्थान्वयभाषाः - (गुहा) गुहा [गुप्त अवस्था] में (सतीः) वर्तमान (गाः) वाणियों को (आविः कृण्वन्) प्रकट करते हुए उस [परमेश्वर] ने (अङ्गिरोभ्यः) विज्ञानी पुरुषों के लिये (उत् आजत्) ऊँचा पहुँचाया और (वलम्) हिंसक [विघ्न] को (अर्वाञ्चन्) नीचे (नुनुदे) हटाया ॥३॥
भावार्थभाषाः - प्रलय के पीछे परमात्मा ने वेदों का उपदेश करके हमारे सब विघ्न मिटाये हैं ॥३॥
टिप्पणी: ३−मन्त्राः २- व्याख्याताः-अ०२–०।२८।१-४॥