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इ॒हेत्थ प्रागपा॒गुद॑ग॒धरा॒क्स वै॑ पृ॒थु ली॑यते ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

इह । इत्थ । प्राक् । अपाक् । उदक् । अधराक् । स: । वै । पृथु । लीयते ॥१३४.४॥

अथर्ववेद » काण्ड:20» सूक्त:134» पर्यायः:0» मन्त्र:4


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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी

बुद्धि बढ़ाने का उपदेश।

पदार्थान्वयभाषाः - (इह) यहाँ (इत्थ) इस प्रकार............. [म० १]−(सः) वह [भोजन पदार्थ] (वै) निश्चय करके (पृथु) विस्तार से (लीयते) मिलता है ॥४॥
भावार्थभाषाः - मनुष्य को सब स्थान में सदा भोजन आदि पदार्थ प्राप्त करना चाहिये ॥३, ४॥
टिप्पणी: ४−(सः) स्थालीपाकः (वै) निश्चयेन (पृथु) यथा तथा विस्तारेण (लीयते) म० ३। संयुज्यते ॥