बार पढ़ा गया
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
बुद्धि बढ़ाने का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (इह) यहाँ (इत्थ) इस प्रकार ............ [म० १]−(वत्साः) प्यारे बच्चे (पुरुषन्तः) पुरुष होते हुए (आसते) ठहरते हैं ॥२॥
भावार्थभाषाः - सब स्थान और सब काल में मनुष्य पुरुषार्थ करें ॥२॥
टिप्पणी: २−(वत्साः) प्रियशिशवः (पुरुषन्तः) पुरुषा भवन्तः (आसते) तिष्ठन्ति ॥