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क ए॑षां दु॒न्दुभिं॑ हनत् ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

क: । एषाम् । दुन्दुभिम् । हनत् ॥१३२.९॥

अथर्ववेद » काण्ड:20» सूक्त:132» पर्यायः:0» मन्त्र:9


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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी

परमात्मा के गुणों का उपदेश।

पदार्थान्वयभाषाः - (कः) कौन (एषाम्) इनके बीच (दुन्दुभिम्) दुन्दुभि [ढोल] (हनत्) बजावे ॥९॥
भावार्थभाषाः - चुने हुए विद्वान् मनुष्य और विदुषी स्त्रियाँ संसार में उत्तम उत्तम बाजों के साथ वेद-विद्या का गान करके आत्मा और शरीर की बल बढ़ानेवाली चमत्कारी क्रियाओं का प्रकाश करें ॥८-१२॥
टिप्पणी: ९−(कः) (एषाम्) (दन्दुभिम्) अथ० ।२०।१। बृहड्ढक्काम् (हनत्) वादयेत् ॥