बार पढ़ा गया
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
परमात्मा के गुणों का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - [वह परमात्मा] (कर्करिकः) बनानेवाला (निखातकः) दृढ़ जमा हुआ है ॥३॥
भावार्थभाषाः - वह ब्रह्म निराधार अकेला होकर सबका आधार और बनानेवाला है, वायु आदि पदार्थ उसकी आज्ञा में चलते हैं। सब मनुष्य उसकी उपासना करें ॥१-४॥
टिप्पणी: ३−(कर्करिकः) फर्फरीकादयश्च। उ० ४।२०। डुकृञ् करणे-ईकन्, कर्करादेशः, ईकारस्य इकारः। कर्ता। रचयिता (निखातकः) म० २। दृढीकृत्य स्थापितः ॥