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अला॑बुकं॒ निखा॑तकम् ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

अलाबुकम् । निखातकम् ॥१३२.२॥

अथर्ववेद » काण्ड:20» सूक्त:132» पर्यायः:0» मन्त्र:2


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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी

परमात्मा के गुणों का उपदेश।

पदार्थान्वयभाषाः - (अलाबुकम्) न डूबनेवाला और (निखातकम्) दृढ़ जमा हुआ है ॥२॥
भावार्थभाषाः - वह ब्रह्म निराधार अकेला होकर सबका आधार और बनानेवाला है, वायु आदि पदार्थ उसकी आज्ञा में चलते हैं। सब मनुष्य उसकी उपासना करें ॥१-४॥
टिप्पणी: २−(अलाबुकम्) म० १। (निखातकम्) खनु अवदारणे-क्त, स्वार्थे कन्। खनित्वा दृढीकृत्य स्थापितम् ॥