वांछित मन्त्र चुनें

वरु॑णो॒ याति॒ वस्व॑भिः ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

वरूण: । याति । वस्वभि: ॥१३१.३॥

अथर्ववेद » काण्ड:20» सूक्त:131» पर्यायः:0» मन्त्र:3


बार पढ़ा गया

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी

ऐश्वर्य की प्राप्ति का उपदेश।

पदार्थान्वयभाषाः - (वरुणः) श्रेष्ठ [धनी पुरुष] (वस्वभिः) श्रेष्ठ वस्तुओं के साथ (याति) चलता है ॥३॥
भावार्थभाषाः - मनुष्य पूर्वज विद्वानों के समान विघ्नों को हटाकर अनेक प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त करें ॥१-॥
टिप्पणी: ३−(वरुणः) श्रेष्ठः। धनी पुरुषः (याति) गच्छति (वस्वभिः) वसुभिः। श्रेष्ठवस्तुभिः ॥