वांछित मन्त्र चुनें

ते वृ॒क्षाः स॒ह ति॑ष्ठति ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

ते । वृक्षा: । सह । तिष्ठति ॥१३१.११॥

अथर्ववेद » काण्ड:20» सूक्त:131» पर्यायः:0» मन्त्र:11


बार पढ़ा गया

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी

ऐश्वर्य की प्राप्ति का उपदेश।

पदार्थान्वयभाषाः - (ते) वे (वृक्षाः) स्वीकार करने योग्य पुरुष (सह) मिलकर (तिष्ठति) रहते हैं ॥११॥
भावार्थभाषाः - सब मनुष्य और स्त्रियाँ सदा उपकार करके क्लेशों से बचें और परस्पर प्रीति से रहें ॥६-११॥
टिप्पणी: ११−(ते) पूर्वोक्ताः (वृक्षाः) वृक्ष वरणे-क। स्वीकरणीयाः पुरुषाः (सह) एकीभूय (तिष्ठति) तिष्ठन्ति। वर्तन्ते ॥