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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
मनुष्य के लिये पुरुषार्थ का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (आमणकः) उपदेश करनेवाला और (मणत्सकः) विद्वानों में शक्तिमान् होकर ॥९॥
भावार्थभाषाः - मनुष्य शरीर और आत्मा से बलवान् होकर भूमि की रक्षा और विद्या की बढ़ती करें ॥७-१०॥
टिप्पणी: ९−(आमणकः) कुञादिभ्यः संज्ञायां वुन्। उ० ।३। आ+मण शब्दे-वुन्। उपदेशकः (मणत्सकः) वर्त्तमाने पृषद्बृहन्। उ० २।८४। मण शब्दे-अति+शक्लृ+सामर्थ्ये-अच्। मणत्सु विद्वत्सु शक्तः ॥