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कुहा॑कं पक्व॒कं पृ॑च्छ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

कुहाकम् । पक्वकम् । पृच्छ ॥१३०.६॥

अथर्ववेद » काण्ड:20» सूक्त:130» पर्यायः:0» मन्त्र:6


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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी

मनुष्य के लिये पुरुषार्थ का उपदेश।

पदार्थान्वयभाषाः - (कुहाकम्) अद्भुत स्वभाववाले, (पक्वकम्) पक्के [दृढ़ चित्तवाले] से (पृच्छ) पूछ ॥६॥
भावार्थभाषाः - मनुष्य विवेकी, क्रियाकुशल विद्वानों से शिक्षा लेता हुआ विद्याबल से चमत्कारी, नवीन-नवीन आविष्कार करके उद्योगी होवे ॥१-६॥
टिप्पणी: ६−(कुहाकम्) बहुलमन्यत्रापि। उ० २।३७। कुह विस्मापने-क्वुन्, वृद्धिः। यद्वा, पिनाकादयश्च। उ० ४।१। कुह-आकप्रत्ययः। अद्भुतस्वभावम् (पक्वकम्) दृढचित्तम् (पृच्छ) ॥