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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
मनुष्य के लिये पुरुषार्थ का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (कः) कौन (कार्ष्ण्याः) आकर्षणवाली, क्रिया के (पयः) अन्न को [पावे] ॥४॥
भावार्थभाषाः - मनुष्य विवेकी, क्रियाकुशल विद्वानों से शिक्षा लेता हुआ विद्याबल से चमत्कारी, नवीन-नवीन आविष्कार करके उद्योगी होवे ॥१-६॥
टिप्पणी: ४−(कः) (कार्ष्ण्याः) घृणिपृश्नपार्ष्णि०। उ० ४।२। कृष विलेखने-निप्रत्ययः, वृद्धिश्च। आकर्षकक्रियायाः (पयः) म० २ ॥