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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
मनुष्य के लिये पुरुषार्थ का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (कः) कौन (अर्जुन्याः) उद्यमवाली क्रिया के (पयः) अन्न को ॥३॥
भावार्थभाषाः - मनुष्य विवेकी, क्रियाकुशल विद्वानों से शिक्षा लेता हुआ विद्याबल से चमत्कारी, नवीन-नवीन आविष्कार करके उद्योगी होवे ॥१-६॥
टिप्पणी: ३−(कः) (अर्जुन्याः) अर्जेर्णिलुक् च। उ० २।८। अर्ज अर्जने-उनन् ङीप्। उद्योगिन्याः क्रियायाः (पयः) म० २ ॥