बार पढ़ा गया
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
मनुष्य के लिये पुरुषार्थ का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (कः) कौन (असिद्याः) बिना बन्धनवाली क्रिया के (पयः) अन्न को ॥२॥
भावार्थभाषाः - मनुष्य विवेकी, क्रियाकुशल विद्वानों से शिक्षा लेता हुआ विद्याबल से चमत्कारी, नवीन-नवीन आविष्कार करके उद्योगी होवे ॥१-६॥
टिप्पणी: २−(कः) (असिद्याः) षिञ् बन्धने-क्तिन्, तस्य दः। असित्याः। बन्धनरहितक्रियायाः (पयः) पय गतौ-असुन्। अन्नम्-निघ० २।७ ॥