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अथो॑ इ॒यन्निति॑ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

अथो । इयन् । इति ॥१३०.१८॥

अथर्ववेद » काण्ड:20» सूक्त:130» पर्यायः:0» मन्त्र:18


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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी

मनुष्य के लिये पुरुषार्थ का उपदेश।

पदार्थान्वयभाषाः - (अथो) फिर वह (इयन्) चलता हुआ [होवे], (इति) ऐसा है ॥१८॥
भावार्थभाषाः - विद्वान् लोग गुणवती स्त्री के सन्तानों को उत्तम शिक्षा देकर महान् विद्वान् और उद्योगी बनावें। ऐसा न करने से बालक निर्गुणी और पीड़ादायक होकर कुत्ते के समान अपमान पाते हैं ॥१-२०॥
टिप्पणी: १८−(अथो) अनन्तरम् (इयन्) म० १७। गच्छन् (इति) ॥