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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
मनुष्य के लिये पुरुषार्थ का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (वशायाः) कामनायोग्य स्त्री के (पुत्रम्) पुत्र को (आ यन्ति) वे [मनुष्य] आकर पहुँचते हैं ॥१॥
भावार्थभाषाः - विद्वान् लोग गुणवती स्त्री के सन्तानों को उत्तम शिक्षा देकर महान् विद्वान् और उद्योगी बनावें। ऐसा न करने से बालक निर्गुणी और पीड़ादायक होकर कुत्ते के समान अपमान पाते हैं ॥१-२०॥
टिप्पणी: १−(वशायाः) वश कान्तौ-अङ्, टाप्। कमनीयायाः स्त्रियाः (पुत्रम्) सन्तानम् (आ) आगत्य (यन्ति) प्राप्नुवन्ति ॥