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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
मनुष्य के लिये पुरुषार्थ का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (प्रदुद्रुदः) अच्छे प्रकार गति देनेवाला व्यवहार (मघाप्रति) धनों के लिये [होवे] ॥१२॥
भावार्थभाषाः - मनुष्य सत्य से व्यवहार करके धन प्राप्त करे ॥११, १२॥
टिप्पणी: १२−(प्रदुद्रुदः) शते च। उ० १।३। प्र+द्रु गतौ-कु, डित्, ददातेः-क। प्रकर्षेण गतिदायको व्यवहारः (मघाप्रति) मघं धननाम-निघ० २।१०। धनानि प्रति अभिमुखीकृत्य ॥