वांछित मन्त्र चुनें

एन॑श्चिपङ्क्ति॒का ह॒विः ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

एनश्चिपङ्क्त‍िका । हवि: ॥१३०.११॥

अथर्ववेद » काण्ड:20» सूक्त:130» पर्यायः:0» मन्त्र:11


बार पढ़ा गया

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी

मनुष्य के लिये पुरुषार्थ का उपदेश।

पदार्थान्वयभाषाः - (एनश्चिपङ्क्तिका) पाप के नाश का फैलानेवाला (हविः) देन-लेन [होवे] ॥११॥
भावार्थभाषाः - मनुष्य सत्य से व्यवहार करके धन प्राप्त करे ॥११, १२॥
टिप्पणी: ११−(एनश्चिपङ्क्तिका) वातेर्डिच्च। उ० ४।१३४। एनः+चन श्रद्धोपहननयोः-इण् डित्। वृतेस्तिकन्। उ० ३।१४६। पचि व्यक्तीकरणे विस्तारवचने-तिकन्। सुपां सुलुक्०। पा० ७।१।३९। विभक्तेराकारः