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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
मनुष्य के लिये पुरुषार्थ का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (देव) हे विद्वान् ! (त्वप्रतिसूर्य) तू सूर्य समान [प्रतापी] है ॥१०॥
भावार्थभाषाः - मनुष्य शरीर और आत्मा से बलवान् होकर भूमि की रक्षा और विद्या की बढ़ती करें ॥७-१०॥
टिप्पणी: १०−(देव) हे विद्वन् (त्वप्रतिसूर्य) विभक्तेर्लुक्। त्वमेव सूर्यसमानः प्रतापवान् ॥