वांछित मन्त्र चुनें

देव॑ त्वप्रतिसूर्य ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

देव । त्वत्प्रतिसूर्य ॥१३०.१०॥

अथर्ववेद » काण्ड:20» सूक्त:130» पर्यायः:0» मन्त्र:10


बार पढ़ा गया

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी

मनुष्य के लिये पुरुषार्थ का उपदेश।

पदार्थान्वयभाषाः - (देव) हे विद्वान् ! (त्वप्रतिसूर्य) तू सूर्य समान [प्रतापी] है ॥१०॥
भावार्थभाषाः - मनुष्य शरीर और आत्मा से बलवान् होकर भूमि की रक्षा और विद्या की बढ़ती करें ॥७-१०॥
टिप्पणी: १०−(देव) हे विद्वन् (त्वप्रतिसूर्य) विभक्तेर्लुक्। त्वमेव सूर्यसमानः प्रतापवान् ॥