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सा॒धुं पु॒त्रं हि॑र॒ण्यय॑म् ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

साधुम् । पुत्रम् । हिरण्ययम् ॥१२९.५॥

अथर्ववेद » काण्ड:20» सूक्त:129» पर्यायः:0» मन्त्र:5


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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी

मनुष्य के लिये प्रयत्न का उपदेश।

पदार्थान्वयभाषाः - (साधुम्) साधु [कार्य साधनेवाले], (हिरण्ययम्) तेजोमय (पुत्रम्) पुत्र [सन्तान] को (क्व) कहाँ (आहतम्) ताडा हुआ (परास्यः) तूने दूर फेंक दिया है ॥, ६॥
भावार्थभाषाः - सृष्टि के बीच माता अपने पुरुष से प्रीति करके सन्तान उत्पन्न करके उनको कुमार्ग से बचाके तेजस्वी और सुमार्गी बनावें ॥३-६॥
टिप्पणी: −(साधुम्) कार्यसाधकम् (पुत्रम्) सन्तानम् (हिरण्ययम्) तेजोमयम् ॥