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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
मनुष्य के लिये प्रयत्न का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (हरिक्निके) हे मनुष्य में प्रीति करनेवाली ! तू (किम्) क्या (इच्छसि) चाहती है ॥४॥
भावार्थभाषाः - सृष्टि के बीच माता अपने पुरुष से प्रीति करके सन्तान उत्पन्न करके उनको कुमार्ग से बचाके तेजस्वी और सुमार्गी बनावे ॥३-६॥
टिप्पणी: ४−(हरिक्निके) म० ३। हे मनुष्येच्छुके (किम्) (इच्छसि) कामयसे ॥