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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
मनुष्य के लिये प्रयत्न का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (तासाम्) उन [व्यापक प्रजाओं] के बीच (एका) एक [स्त्री प्रजा] (हरिक्निका) मनुष्य में प्रीति करनेवाली है ॥३॥
भावार्थभाषाः - सृष्टि के बीच माता अपने पुरुष से प्रीति करके सन्तान उत्पन्न करके उनको कुमार्ग से बचाके तेजस्वी और सुमार्गी बनावे ॥३-६॥
टिप्पणी: ३−(तासाम्) पूर्वोक्तप्रजानां मध्ये (एका) स्त्री प्रजा (हरिक्निका) हरयो मनुष्याः-निघ० २।३। क्वुन् शिल्पिसंज्ञयोरपूर्वस्यापि। उ० २।३२। कनी दीप्तिकान्तिगतिषु-क्वुन्, टाप्, अत इत्त्वम्। धातोः अकारलोपः। हरिक्निका। मनुष्येच्छुका ॥