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श्येनी॒पती॒ सा ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

श्येनीपती । सा॥१२९.१९॥

अथर्ववेद » काण्ड:20» सूक्त:129» पर्यायः:0» मन्त्र:19


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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी

मनुष्य के लिये प्रयत्न का उपदेश।

पदार्थान्वयभाषाः - (सा) वह [सेवा करनेवाली बुद्धि-म० १७] (श्येनीपती) शीघ्र गतिवाली प्रजाओं की स्वामिनी होकर ॥१९॥
भावार्थभाषाः - उत्तम बुद्धिवाला मनुष्य शीघ्र काम करनेवाला, स्वस्थ और उपकारी वचन बोलनेवाला होता है ॥१९, २०॥
टिप्पणी: १९−(श्येनीपती) अ० ३।३।३। श्यैङ् गतौ-इनच्, ङीप्+पति-ङीप्। श्येनीनां शीघ्रगामिनीनां प्रजानां स्वामिनी (सा) केविका बुद्धिः-म० १७ ॥