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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
मनुष्य के लिये प्रयत्न का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (सः) वह [मनुष्य] (इच्छकम्) इच्छावाले को (सघाघते) सहाय करता है ॥१२॥
भावार्थभाषाः - स्त्री-पुरुष मिलकर धर्मव्यवहार में एक-दूसरे के सहायक होकर संसार का उपकार करें ॥११-१४॥
टिप्पणी: १२−(सः) मनुष्यः (इच्छकम्) इषु इच्छायाम्-शकप्रत्ययः। इच्छायुक्तम् (सघाघते) षह क्षमायाम् इत्यस्य रूपम्। यद्वा, षघ हिंसायाम् अत्र सहाये। साहयते ॥