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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
मनुष्य के लिये प्रयत्न का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - [हे स्त्री !] (अर्वाहः) ज्ञान पहुँचानेवाला [मनुष्य] (महा) महत्त्व के साथ (ते) तेरे लिये (अयत्) प्राप्त होता है ॥११॥
भावार्थभाषाः - स्त्री-पुरुष मिलकर धर्मव्यवहार में एक-दूसरे के सहायक होकर संसार का उपकार करें ॥११-१४॥
टिप्पणी: ११−(अयत्) अयते। प्राप्यते (महा) मह पूजायाम् क्विप्। महत्त्वेन (ते) तुभ्यम् (अर्वाहः) ऋ गतौ-विच्+वह प्रापणे-अण्। ज्ञानप्रापको विद्वान् ॥