वांछित मन्त्र चुनें

ए॒ता अश्वा॒ आ प्ल॑वन्ते ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

एता: । अश्वा: । प्लवन्ते ॥१२९.१॥

अथर्ववेद » काण्ड:20» सूक्त:129» पर्यायः:0» मन्त्र:1


बार पढ़ा गया

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी

मनुष्य के लिये प्रयत्न का उपदेश।

पदार्थान्वयभाषाः - (एताः) यह (अश्वाः) व्यापक प्रजाएँ (प्रतीपम्) प्रत्यक्ष व्यापक (सुत्वनम् प्राति) ऐश्वर्यवाले [परमेश्वर] के लिये (आ) आकर (प्लवन्ते) चलती हैं ॥१, २॥
भावार्थभाषाः - संसार के सब पदार्थ उत्पन्न होकर परमेश्वर की आज्ञा में वर्त्तमान हैं ॥१, २॥
टिप्पणी: [पदपाठ के लिये सूचना सूक्त १२७ देखो]१−(एताः) उपस्थिताः (अश्वाः), अशू व्याप्तौ-क्वन्, टाप्। व्यापिकाः प्रजाः (आ) आगत्य (प्लवन्ते) गच्छन्ति ॥