वांछित मन्त्र चुनें

स्व॒स्ति नो॑ अ॒स्त्वभ॑यं नो अस्तु॒ नमो॑ऽहोर॒त्राभ्या॑मस्तु ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

स्वस्ति। नः। अस्तु। अभयम्। नः। अस्तु। नमः। अहोरात्राभ्याम्। अस्तु ॥८.७॥

अथर्ववेद » काण्ड:19» सूक्त:8» पर्यायः:0» मन्त्र:7


बार पढ़ा गया

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी

सुख की प्राप्ति का उपदेश।

पदार्थान्वयभाषाः - [हे परमात्मन् !] (नः) हमारे लिये (स्वस्ति) कल्याण [सुन्दर सत्ता] (अस्तु) होवे (नः) हमारे लिये (अभयम्) अभय (अस्तु) होवे, [हमें] (अहोरात्राभ्याम्) दोनों दिन-राति के लिये (नमः) अन्न (अस्तु) होवे ॥७॥
भावार्थभाषाः - मनुष्य अपनी सत्ता को सुधार कर सदा निर्भय होकर अन्न आदि प्राप्त करें ॥७॥
टिप्पणी: इस मन्त्र का अन्तिम पाद म० २ में आया है ॥ ७−(स्वस्ति) कल्याणम्। सुष्ठु अस्तित्वम् (नः) अस्मभ्यम् (अस्तु) भवतु (अभयम्) भयराहित्यम् (नः) (अस्तु)। अन्यत् पूर्ववत्-म० २ ॥