वांछित मन्त्र चुनें

इन्द्र॒ जीव॒ सूर्य॒ जीव॒ देवा॒ जीवा॑ जी॒व्यास॑म॒हम्। सर्व॒मायु॑र्जीव्यासम् ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

इन्द्र। जीव। सूर्य। जीव। देवाः। जीवाः। जीव्यासम्। अहम्। सर्वम्। आयुः। जीव्यासम् ॥७०.१॥

अथर्ववेद » काण्ड:19» सूक्त:70» पर्यायः:0» मन्त्र:1


बार पढ़ा गया

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी

जीवन बढ़ाने का उपदेश।

पदार्थान्वयभाषाः - (इन्द्र) हे इन्द्र ! [परम ऐश्वर्यवाले मनुष्य] (जीव) तू जीता रह, (सूर्य) हे सूर्य ! [सूर्यसमान तेजस्वी] (जीव) तू जीता रह, (देवाः) हे विद्वानो ! तुम (जीवाः) जीनेवाले [हो], (अहम्) मैं (जीव्यासम्) मैं जीता रहूँ, (सर्वम्) सम्पूर्ण (आयुः) आयु (जीव्यासम्) मैं जीता रहूँ ॥१॥
भावार्थभाषाः - मनुष्य परम ऐश्वर्यवान् और प्रधान होकर विद्वानों के साथ पूर्ण आयु जीवें ॥१॥
टिप्पणी: १−(इन्द्र) हे परमैश्वर्यवन् मनुष्य (जीव) प्राणान् धारय (सूर्य) हे सूर्यवत्तेजस्विन् (जीव) (देवाः) हे विद्वांसः (जीवाः) जीवनवन्तः स्थ। अन्यत् पूर्ववत् स्पष्टं च ॥