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जी॑व॒ला स्थ॑ जी॒व्यासं॒ सर्व॒मायु॑र्जीव्यासम् ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

जीवलाः। स्थ। जीव्यासम्। सर्वम्। आयुः। जीव्यासम् ॥६९.४॥

अथर्ववेद » काण्ड:19» सूक्त:69» पर्यायः:0» मन्त्र:4


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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी

जीवन बढ़ाने के लिये उपदेश।

पदार्थान्वयभाषाः - [हे विद्वानो !] तुम (जीवलाः) जीवनदाता (स्थ) हो, (जीव्यासम्) मैं जीता रहूँ, (सर्वम्) सम्पूर्ण (आयुः) आयु (जीव्यासम्) मैं जीता रहूँ ॥४॥
भावार्थभाषाः - मनुष्य परस्पर उपकार से सबका जीवन बढ़ाते रहें ॥४॥
टिप्पणी: ४−(जीवलाः) जीव+ला दानादानयोः-क प्रत्ययः। जीवनदातारः ॥