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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
जीवन बढ़ाने के लिये उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - [हे विद्वानो !] तुम (जीवलाः) जीवनदाता (स्थ) हो, (जीव्यासम्) मैं जीता रहूँ, (सर्वम्) सम्पूर्ण (आयुः) आयु (जीव्यासम्) मैं जीता रहूँ ॥४॥
भावार्थभाषाः - मनुष्य परस्पर उपकार से सबका जीवन बढ़ाते रहें ॥४॥
टिप्पणी: ४−(जीवलाः) जीव+ला दानादानयोः-क प्रत्ययः। जीवनदातारः ॥