बार पढ़ा गया
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
जीवन बढ़ाने के लिये उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - [हे विद्वानो !] तुम (उपजीवाः) आश्रय से जीनेवाले (स्थ) हो, (उप जीव्यासम्) मैं सहारे से जीता रहूँ, (सर्वम्) सम्पूर्ण (आयुः) आयु (जीव्यासम्) मैं जीता रहूँ ॥२॥
भावार्थभाषाः - मनुष्यों को ब्रह्मचर्य आदि दशा में श्रेष्ठों का आश्रय लेकर जीवन व्यतीत करना चाहिये ॥२॥
टिप्पणी: २−(उपजीवाः) आश्रयेण जीवन्तः (उपजीव्यासम्) आश्रयेण जीवनवान् भूयासम्। अन्यत् पूर्ववत् ॥