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उ॑पजी॒वा स्थोप॑ जीव्यासं॒ सर्व॒मायु॑र्जीव्यासम् ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

उपऽजीवाः। स्थ। उप। जीव्यासम्। सर्वम्। आयुः। जीव्यासम् ॥६९.२॥

अथर्ववेद » काण्ड:19» सूक्त:69» पर्यायः:0» मन्त्र:2


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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी

जीवन बढ़ाने के लिये उपदेश।

पदार्थान्वयभाषाः - [हे विद्वानो !] तुम (उपजीवाः) आश्रय से जीनेवाले (स्थ) हो, (उप जीव्यासम्) मैं सहारे से जीता रहूँ, (सर्वम्) सम्पूर्ण (आयुः) आयु (जीव्यासम्) मैं जीता रहूँ ॥२॥
भावार्थभाषाः - मनुष्यों को ब्रह्मचर्य आदि दशा में श्रेष्ठों का आश्रय लेकर जीवन व्यतीत करना चाहिये ॥२॥
टिप्पणी: २−(उपजीवाः) आश्रयेण जीवन्तः (उपजीव्यासम्) आश्रयेण जीवनवान् भूयासम्। अन्यत् पूर्ववत् ॥