देवता: मन्त्रोक्ताः, ब्रह्म
ऋषि: ब्रह्मा
छन्द: त्र्यवसाना शङ्कुमती पथ्यापङ्क्तिः
स्वर: ब्रह्मा सूक्त
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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
ब्रह्म की प्राप्ति का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (यत्र) जिस [सुख] में (ब्रह्मविदः) ब्रह्मज्ञानी.......... [मन्त्र १]। (सोमः) सोम [सर्वोत्पादक परमेश्वर] (मा) मुझे (तत्र) वहाँ (नयतु) पहुँचावे, (सोमः) सोम [परमात्मा] (मे) मुझको (पयः) अन्न (दधातु) देवे। (सोमाय) सोम [परमात्मा] के लिये (स्वाहा) स्वाहा [सुन्दर वाणी] ॥५॥
भावार्थभाषाः - मन्त्र १ के समान है ॥५॥
टिप्पणी: ५−(सोमः) सर्वोत्पादकः परमात्मा (पयः) अन्नम्-निघ०२।७। (सोमः) (सोमाय) परमात्मने। अन्यत् पूर्ववत् ॥