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अ॒हं प॑शू॒नाम॑धि॒पा असा॑नि॒ मयि॑ पु॒ष्टं पु॑ष्ट॒पति॑र्दधातु। मह्य॒मौदु॑म्बरो म॒णिर्द्रवि॑णानि॒ नि य॑च्छतु ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

अहम्। पशूनाम्। अधिऽपाः। असानि। मयि। पुष्टम्। पुष्टऽपतिः। दधातु। मह्यम्। औदुम्बरः। मणिः। द्रविणानि। नि। यच्छतु ॥३१.६॥

अथर्ववेद » काण्ड:19» सूक्त:31» पर्यायः:0» मन्त्र:6


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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी

ऐश्वर्य की प्राप्ति का उपदेश।

पदार्थान्वयभाषाः - (अहम्) मैं (पशूनाम्) प्राणियों का (अधिपाः) बड़ा राजा (असानि) हो जाऊँ, (मयि) मुझमें (पुष्टपतिः) पोषण का स्वामी (पुष्टम्) पोषण (दधातु) धारण करे। (मह्यम्) मुझको (औदुम्बरः) संघटन चाहनेवाला (मणिः) प्रशंसनीय [परमेश्वर] (द्रविणानि) अनेक धन (नि) नित्य (यच्छतु) देवे ॥६॥
भावार्थभाषाः - मनुष्यों को परमेश्वर की शरण लेकर पुरुषार्थ के साथ अनेक धन प्राप्त करने चाहिए ॥६॥
टिप्पणी: ६−(अहम्) (पशूनाम्) जीवानाम् (अधिपाः) म०२। महाराजः (असानि) भवानि (मयि) (पुष्टम्) पोषणम् (पुष्टपतिः) पोषणस्वामी (दधातु) धारयतु (मह्यम्) (औदुम्बरः) म०१। संहतिस्वीकर्ता (मणिः) प्रशंसनीयः परमेश्वरः (द्रविणानि) धनानि (नि) नित्यम् (यच्छतु) ददातु ॥