बार पढ़ा गया
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
सेनापति के लक्षणों का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (दर्भ) हे दर्भ ! [शत्रुविदारक सेनापति] (मे) मेरे (सपत्नान्) वैरियों को (विध्य) वेध डाल, (मे) मेरे लिये (पृतनायतः) सेना चढ़ा लानेवालों को (विध्य) वेध डाल। (मे) मेरे (सर्वान्) सब (दुर्हार्दः) दुष्ट हृदयवालों को (विध्य) वेध डाल, (मणे) हे प्रशंसनीय ! (मे) मेरे (द्विषतः) वैरियों को (विध्य) वेध डाल ॥१०॥
भावार्थभाषाः - स्पष्ट है ॥१०॥
टिप्पणी: १०−(विध्य) व्यध ताडने। ताडय ॥