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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
ब्रह्मविद्या का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (मङ्गलिकेभ्यः) मङ्गलवाले [वेदों] के लिये (स्वाहा) स्वाहा [सुन्दर वाणी] हो ॥२८॥
भावार्थभाषाः - मनुष्यों को परमेश्वरोक्त ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद द्वारा श्रेष्ठ विद्याएँ प्राप्त करके इस जन्म और पर जन्म का सुख भोगना चाहिये ॥२८॥
टिप्पणी: २८−(मङ्गलिकेभ्यः) अत इनिठनौ। पा०५।२।११५। मङ्गल-उन्। मङ्गलयुक्तेभ्यो वेदेभ्यः ॥