बार पढ़ा गया
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
ब्रह्मविद्या का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (प्राजापत्याभ्याम्) प्रजापति [परमात्मा] को पूजनीय माननेवाली दोनों [कार्य और कारण] के लिये (स्वाहा) स्वाहा [सुन्दर वाणी] हो ॥२६॥
भावार्थभाषाः - मनुष्यों को परमेश्वरोक्त ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद द्वारा श्रेष्ठ विद्याएँ प्राप्त करके इस जन्म और पर जन्म का सुख भोगना चाहिये ॥२६॥
टिप्पणी: २६−(प्राजापत्याभ्याम्) प्रजापतिः परमात्मा देवता पूजनीयो ययोस्ताभ्यां कार्यकारणाभ्याम् ॥