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प्रा॑जाप॒त्याभ्यां॒ स्वाहा॑ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

प्राजाऽपत्याभ्याम्। स्वाहा ॥२३.२६॥

अथर्ववेद » काण्ड:19» सूक्त:23» पर्यायः:0» मन्त्र:26


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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी

ब्रह्मविद्या का उपदेश।

पदार्थान्वयभाषाः - (प्राजापत्याभ्याम्) प्रजापति [परमात्मा] को पूजनीय माननेवाली दोनों [कार्य और कारण] के लिये (स्वाहा) स्वाहा [सुन्दर वाणी] हो ॥२६॥
भावार्थभाषाः - मनुष्यों को परमेश्वरोक्त ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद द्वारा श्रेष्ठ विद्याएँ प्राप्त करके इस जन्म और पर जन्म का सुख भोगना चाहिये ॥२६॥
टिप्पणी: २६−(प्राजापत्याभ्याम्) प्रजापतिः परमात्मा देवता पूजनीयो ययोस्ताभ्यां कार्यकारणाभ्याम् ॥