वांछित मन्त्र चुनें

सू॒र्याभ्यां॒ स्वाहा॑ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

सूर्याभ्याम्। स्वाहा ॥२३.२४॥

अथर्ववेद » काण्ड:19» सूक्त:23» पर्यायः:0» मन्त्र:24


बार पढ़ा गया

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी

ब्रह्मविद्या का उपदेश।

पदार्थान्वयभाषाः - (सूर्याभ्याम्) दो प्रेरकों [परमात्मा और जीवात्मा] के लिये (स्वाहा) स्वाहा [सुन्दर वाणी] हो ॥२४॥
भावार्थभाषाः - मनुष्यों को परमेश्वरोक्त ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद द्वारा श्रेष्ठ विद्याएँ प्राप्त करके इस जन्म और पर जन्म का सुख भोगना चाहिये ॥२४॥
टिप्पणी: २४−(सूर्याभ्याम्) प्रेरकाभ्यां परमात्मजीवात्मभ्याम् ॥