वांछित मन्त्र चुनें

ए॒तत्ते॑ ततामहस्व॒धा ये च॒ त्वामनु॑ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

एतत् । ते । ततामह । स्वधा । ये । च । त्वाम् । अनु ॥४.७६॥

अथर्ववेद » काण्ड:18» सूक्त:4» पर्यायः:0» मन्त्र:76


बार पढ़ा गया

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी

पितरों के सन्मान का उपदेश।

पदार्थान्वयभाषाः - (ततामह) हे दादे ! (एतत्) यहाँ (ते) तेरे लिये (स्वधा) अन्न हो, (च) और [उन के लिये अन्न हो] (ये)जो (त्वाम् अनु) तेरे साथ हैं ॥७६॥
भावार्थभाषाः - सन्तानों को चाहिये किबड़ों से आरम्भ करके परदादी परदादा, दादी दादा, माता-पिता आदि मान्यों की अन्न आदिसे सेवा करके उत्तम शिक्षा और आशीर्वाद पावें ॥७५-७७॥
टिप्पणी: ७६−(ततामह) म० ७५। हेपितामह। अन्यत् पूर्ववत् ॥