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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
पितरों के सन्मान का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (सोमवद्भ्यः) बड़ेऐश्वर्यवाले (पितृभ्यः) पितरों [माता-पिता आदि पालक ज्ञानियों] को (स्वधा) अन्नऔर (नमः) नमस्कार हो ॥७३॥
भावार्थभाषाः - मनुष्यों को योग्य हैकि विविध प्रकार के विद्वान् माननीय पुरुषों का अन्न आदि से सत्कार करके विविधशिक्षा ग्रहण करें ॥७१-७४॥
टिप्पणी: ७३−(पितृभ्यः)मातापित्रादिपालकज्ञानिभ्यः (सोमवद्भ्यः) परमैश्वर्ययुक्तेभ्यः। अन्यत् पूर्ववत्॥