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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
यजमान के कर्तव्य का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (अपूपवान्) अपूपों [शुद्ध पके हुए भोजनों मालपूए पूड़ी आदि]वाला, (रसवान्) रसवाले [वीर्यवर्धकशर्करा आदि] पदार्थोंवाला (चरुः) चरु... [मन्त्र १६] ॥२३॥
भावार्थभाषाः - मन्त्र १६ के समान है॥२३॥
टिप्पणी: २३−(रसवान्) वीर्यवर्धकशर्करादिपदार्थयुक्तः। अन्यत् पूर्ववत्-म० १६ ॥