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पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
यजमान के कर्तव्य का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (अपूपवान्) अपूपों [शुद्ध पके हुए भोजनों मालपूए पूड़ी आदि]वाला, (मधुमान्) मधु [मक्खियों कारस]वाला (चरुः) चरु... [मन्त्र १६] ॥२२॥
भावार्थभाषाः - मन्त्र १६ के समान है॥२२॥
टिप्पणी: २२−(मधुमान्) माक्षिकरसयुक्तः। अन्यत् पूर्ववत्-म० १६ ॥