बार पढ़ा गया
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
यजमान के कर्तव्य का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (अपूपवान्) अपूपों [शुद्ध पके हुए भोजनों मालपूए पूड़ी आदि]वाला, (मांसवान्) मननसाधकपदार्थोंवाला [अर्थात् बुद्धिवर्धक जैसे मीठे फल बादाम, अक्षोट आदिवस्तुओंवाला] (चरुः) चरु... [मन्त्र १६] ॥२०॥
भावार्थभाषाः - मन्त्र १६ के समान है॥२०॥
टिप्पणी: २०−(मांसवान्) अ० ९।६(३)९। मनेर्दीर्घश्च। उ० ३।६४। मन ज्ञाने-स प्रत्ययोदीर्घश्च। मांसं माननं वा मानसं वा मनोऽस्मिन्त्सीदतीति वा-निरु० ४।३। मननसाधकेनबुद्धिवर्धकवस्तुना युक्तः। अन्यत् पूर्ववत्-म० १६ ॥