बार पढ़ा गया
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी
यजमान के कर्तव्य का उपदेश।
पदार्थान्वयभाषाः - (अपूपवान्) अपूपों [शुद्ध पके हुए भोजनों मालपूए पूड़ी आदि]वाला, (घृतवान्) घृतवाला (चरुः)चरु... [मन्त्र १६] ॥१९॥
भावार्थभाषाः - मन्त्र १६ के समान है॥१९॥
टिप्पणी: १९−(घृतवान्) आज्येन युक्तः। अन्यत् पूर्ववत्-म० १६ ॥