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इड॒ऽएह्यदि॑त॒ऽएहि॒ सर॑स्व॒त्येहि॑। असा॒वेह्यसा॒वेह्यसा॒वेहि॑ ॥२ ॥

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पद पाठ

इडे॑। एहि॑। अदि॑ते। एहि॑। सर॑स्वति। एहि॑ ॥ असौ॑। एहि॑। असौ॑। एहि॑। असौ॑। एहि॑ ॥२ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:38» मन्त्र:2


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हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

स्त्री-पुरुष कैसे विवाह करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे (इडे) सुशिक्षित वाणी के तुल्य स्त्रि ! तू मुझको (एहि) प्राप्त हो जो (असौ) वह तुझको प्राप्त हो उसको तू (एहि) प्राप्त हो। हे (अदिते) अखण्डित आनन्द देनेवाली ! तू अखण्डित आनन्द को (एहि) प्राप्त हो, जो (असौ) वह तुमको अखण्डित आनन्द देवे उसको (एहि) प्राप्त हो। हे (सरस्वति) प्रशस्त विज्ञानयुक्त स्त्रि ! तू विद्वान् को (एहि) प्राप्त हो, जो (असौ) वह सुशिक्षित हो, उसको (एहि) प्राप्त हो ॥२ ॥
भावार्थभाषाः - जब स्त्री-पुरुष विवाह करने की इच्छा करें, तब ब्रह्मचर्य और विद्या से स्त्री और पुरुष के धर्म और आचरण को जानकर ही करें ॥२ ॥
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संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

स्त्रीपुरुषौ कथं विवहेतामित्याह ॥

अन्वय:

(इडे) सुशिक्षिता वागिव (एहि) प्राप्नुहि (अदिते) अखण्डितानन्ददे (एहि) (सरस्वति) प्रशस्तविज्ञानयुक्ते (एहि) (असौ) (एहि) (असौ) (एहि) (असौ) (एहि) ॥२ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे इडे ! त्वं मामेहि योऽसौ त्वां प्राप्नुयात् तमेहि। हे अदिते ! त्वमखण्डितानन्दमेहि, योऽसौ त्वामखण्डितानन्दं दद्यात् तमेहि। हे सरस्वती ! त्वं विद्वांसमेहि योऽसौ सुशिक्षकः स्यात् तमेहि ॥२ ॥
भावार्थभाषाः - यदा स्त्रीपुरुषौ विवाहं कर्तुमिच्छेतां तदा ब्रह्मचर्येण विद्यया स्त्रीपुरुषधर्माचरणे विदित्वैव कुर्याताम् ॥२ ॥
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मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - स्री व पुरुषाला जेव्हा विवाह करण्याची इच्छा होते तेव्हा ब्रह्मचर्य व विद्या या द्वारे स्री आणि पुरुषांचा धर्म (गुण, कर्म, स्वभाव) व वर्तन जाणूनच विवाह करावा.