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अद॑ब्धेभिः सवितः पा॒युभि॒ष्ट्वꣳ शि॒वेभि॑र॒द्य परि॑ पाहि नो॒ गय॑म्। हिर॑ण्यजिह्वः सुवि॒ताय॒ नव्य॑से॒ रक्षा॒ माकि॑र्नोऽअ॒घश॑ꣳसऽईशत ॥८४ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

अद॑ब्धेभिः। स॒वि॒त॒रिति॑ सवितः। पा॒युभि॒रिति॑ पा॒युऽभिः॑। त्वम्। शि॒वेभिः॑। अ॒द्य। परि॑। पा॒हि। नः॒। गय॑म् ॥ हिर॑ण्यजिह्व॒ इति॒ हिर॑ण्यजिह्वः। सु॒वि॒ताय॑। नव्य॑से। र॒क्ष॒। माकिः॑। नः॒। अ॒घशं॑सः। ई॒श॒त॒ ॥८४ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:33» मन्त्र:84


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हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे (सवितः) समग्र ऐश्वर्य से युक्त राजन् ! (त्वम्) आप (अद्य) आज (अदब्धेभिः) न बिगाड़ने योग्य (शिवेभिः) मङ्गलकारी (पायुभिः) अनेक प्रकार के रक्षा के उपायों से (नः) हमारी (गयम्) प्रजा की (परि, पाहि) सब ओर से रक्षा कीजिये (हिरण्यजिह्वः) सबके हित में रमण करने योग्य वाणी से युक्त हुए (नव्यसे) अतिशय कर नवीन (सुविताय) ऐश्वर्य के अर्थ (नः) हमारी (रक्ष) रक्षा कीजिये, जिससे (अघशंसः) दुष्ट चोर हम पर (माकिः) न (ईशत) समर्थ वा शासक हो ॥८४ ॥
भावार्थभाषाः - राजाओं की योग्यता यह है कि सब प्रजा के सन्तानों की ब्रह्मचर्य, विद्यादान और स्वयंवर विवाह करा के और डाकुओं से रक्षा कर के उन्नति करें ॥८४ ॥
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संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

अन्वय:

(अदब्धेभिः) अहिंसनीयैः (सवितः) सकलैश्वर्ययुक्त (पायुभिः) विविधै रक्षणोपायैः (त्वम्) (शिवेभिः) मङ्गलकारकैः (अद्य) (परि) सर्वतः (पाहि) रक्ष (नः) अस्माकम् (गयम्) प्रजाम् (हिरण्यजिह्वः) हिरण्या हितरमणीया जिह्वा वाग्यस्य (सुविताय) ऐश्वर्याय (नव्यसे) अतिशयेन नवीनाय (रक्ष) पालय। अत्र द्व्यचोऽतस्तिङः [अ०६.३.१३५] इति दीर्घः। (माकिः) निषेधे (नः) अस्मान् (अघशंसः) दुष्टः स्तेनः (ईशत) समर्थो भवेत् ॥८४ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे सविता राजंस्त्वमद्याऽदब्धेभिः शिवेभिः पायुभिर्नो गयं परिपाहि हिरण्यजिह्वः स नव्यसे सुविताय नोऽस्मान् रक्ष यतोऽघशंसोऽस्मदुपरि माकिरीशत ॥८४ ॥
भावार्थभाषाः - राज्ञां योग्यताऽस्ति सर्वस्याः प्रजायाः सन्तानान् ब्रह्मचर्य्यविद्यादानस्वयंवरविवाहैर्दस्युभ्यो रक्षणेन चोन्नयेयुरिति ॥८४ ॥
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मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - राजाने सर्व प्रजेला विद्या द्यावी. ब्रह्मचर्य पालन करून स्वयंवर विवाहास प्रवृत्त करावे. प्रजेचेाोर व डाकूपासून रक्षण करावे.