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समि॑द्धोऽअ॒ग्निर॑श्विना त॒प्तो घ॒र्मो वि॒राट् सु॒तः। दु॒हे धे॒नुः सर॑स्वती॒ सोम॑ꣳ शु॒क्रमि॒हेन्द्रि॒यम् ॥५५ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

समि॑द्ध॒ इति॒ सम्ऽइ॑द्धः। अ॒ग्निः। अ॒श्वि॒ना॒। त॒प्तः। घ॒र्मः। वि॒राडिति॑ वि॒ऽराट्। सु॒तः। दु॒हे। धे॒नुः। सर॑स्वती। सोम॑म्। शु॒क्रम्। इ॒ह। इ॒न्द्रि॒यम् ॥५५ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:20» मन्त्र:55


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हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

अब स्त्री-पुरुषों का विषय अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - जैसे (इह) इस संसार में (धेनुः) दूधवाली गाय के समान (सरस्वती) शास्त्र विज्ञानयुक्त वाणी (शुक्रम्) शुद्ध (सोमम्) ऐश्वर्य और (इन्द्रियम्) धन को परिपूर्ण करती है, वैसे उसे मैं (दुहे) परिपूर्ण करूँ। हे (अश्विना) शुभगुणों में व्याप्त स्त्री पुरुषो ! (तप्तः) तपा और (विराट्) विविध प्रकार से प्रकाशमान (सुतः) प्रेरणा को प्राप्त (समिद्धः) प्रदीप्त (घर्मः) यज्ञ के समान संगतियुक्त (अग्निः) पावक जगत् की रक्षा करता है, वैसे मैं इस सब जगत् की रक्षा करूँ ॥५५ ॥
भावार्थभाषाः - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। इस संसार में तुल्य गुण-कर्म-स्वभाववाले स्त्री-पुरुष सूर्य के समान कीर्ति से प्रकाशमान पुरुषार्थी होके धर्म से ऐश्वर्य्य को निरन्तर संचित करें ॥५५ ॥
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संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

अथ स्त्रीपुरुषयोर्विषयमाह ॥

अन्वय:

(समिद्धः) सम्यक् प्रदीप्तः (अग्निः) पावकः (अश्विना) शुभगुणेषु व्याप्तौ (तप्तः) (घर्मः) यज्ञ इव संगतियुक्तः (विराट्) विविधतया राजते (सुतः) प्रेरितः (दुहे) (धेनुः) दुग्धदात्री गौरिव (सरस्वती) शास्त्रविज्ञानयुक्ता वाक् (सोमम्) ऐश्वर्यम् (शुक्रम्) शुद्धम् (इह) अस्मिन् संसारे (इन्द्रियम्) धनम् ॥५५ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - यथेह धेनुस्सरस्वती शुक्रं सोममिन्द्रियं च दोग्धि, तथैतमहं दुहे, अश्विना तप्तो विराट् सुतः समिद्धो घर्मोऽग्निर्यथा विश्वं पाति, तथाहमेतत्सर्वं रक्षेयम् ॥५५ ॥
भावार्थभाषाः - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। अस्मिन् संसारे तुल्यगुणकर्मस्वभावौ स्त्रीपुरुषौ सूर्यवत्सत्कीर्तिप्रकाशमानौ पुरुषार्थिनौ भूत्वा धर्मेणैश्वर्यं सततं सञ्चिनुताम् ॥५५ ॥
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मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. या जगात समान गुण, कर्म, स्वभावाच्या स्री-पुरुषांनी सूर्याप्रमाणे प्रकाशमान व्हावे व पुरुषार्थी व धर्मयुक्त बनून ऐश्वर्य मिळवावे.