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                              हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥
                   पदार्थान्वयभाषाः -  हे मनुष्य ! जो (तना) विस्तीर्ण प्रकाश से (सूर्यस्य) सूर्य की (दुहिता) कन्या के समान उषा (शश्वता) अनादिरूप (वारेण) ग्रहण करने योग्य स्वरूप से (ते) तेरे (परिस्रुतम्) सब ओर से प्राप्त (सोमम्) ओषधियों के रस को (पुनाति) पवित्र करती है, उसमें तू ओषधियों के रस का सेवन कर ॥४ ॥              
                              
                
                                
                    भावार्थभाषाः -  जो मनुष्य सूर्योदय से पूर्व शौचकर्म करके यथानुकूल ओषधि का सेवन करते हैं, वे रोगरहित होकर सुखी होते हैं ॥४ ॥                
                                
                
                                
                                  
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                              संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती
पुनस्तमेव विषयमाह ॥
                  अन्वय:  
              
                                          (पुनाति) पवित्रीकरोति (ते) तव (परिस्रुतम्) सर्वतः प्राप्तम् (सोमम्) ओषधिरसम् (सूर्य्यस्य) (दुहिता) पुत्रीवोषा (वारेण) वरणीयेन (शश्वता) सनातनेन गुणेन (तना) विस्तृतेन प्रकाशेन ॥४ ॥
                   पदार्थान्वयभाषाः -  हे मनुष्य ! या तना सूर्यस्य दुहितेवोषा शश्वता वारेण ते परिस्रुतं सोमं पुनाति, तस्या त्वमोषधिरसं सेवस्व ॥४ ॥              
                              
                
                                
                    भावार्थभाषाः -  ये मनुष्याः सूर्योदयात् प्राक् शौचं विधाय यथानुकूलमौषधं सेवन्ते, तेऽरोगा भूत्वा सुखिनो जायन्ते ॥४ ॥                
                                
                
                                
                                  
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                              मराठी - माता सविता जोशी
(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
                    भावार्थभाषाः -  जी माणसे सूर्योदयापूर्वी शौचकर्म करून यथानुकूल औषधांचे सेवन करतात ते रोगरहित होऊन सुखी बनतात.                 
                                
                
                                
                                  
              
                  