वांछित मन्त्र चुनें

व्र॒तेन॑ दी॒क्षामा॑प्नोति दी॒क्षया॑प्नोति॒ दक्षि॑णाम्। दक्षि॑णा श्र॒द्धामा॑प्नोति श्र॒द्धया॑ स॒त्यमा॑प्यते ॥३० ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

व्र॒तेन॑। दी॒क्षाम्। आ॒प्नो॒ति॒। दी॒क्षया॑। आ॒प्नो॒ति॒। दक्षि॑णाम्। दक्षि॑णा। श्र॒द्धाम्। आ॒प्नो॒ति॒। श्र॒द्धया॑। स॒त्यम्। आ॒प्य॒ते॒ ॥३० ॥

यजुर्वेद » अध्याय:19» मन्त्र:30


बार पढ़ा गया

हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

मनुष्यों को सत्य का ग्रहण और असत्य का त्याग करना चाहिये, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - जो बालक कन्या वा पुरुष (व्रतेन) ब्रह्मचर्यादि नियमों से (दीक्षाम्) ब्रह्मचर्यादि सत्कर्मों के आरम्भरूप दीक्षा को (आप्नोति) प्राप्त होता है, (दीक्षया) उस दीक्षा से (दक्षिणाम्) प्रतिष्ठा और धन को (आप्नोति) प्राप्त होता है, (दक्षिणा) उस प्रतिष्ठा वा धनरूप से (श्रद्धाम्) सत्य के धारण में प्रीतिरूप श्रद्धा को (आप्नोति) प्राप्त होता है वा उस (श्रद्धया) श्रद्धा से जिसने (सत्यम्) नित्य पदार्थ वा व्यवहारों में उत्तम परमेश्वर वा धर्म की (आप्यते) प्राप्ति की है, वह सुखी होता है ॥३० ॥
भावार्थभाषाः - कोई भी मनुष्य विद्या, अच्छी शिक्षा और श्रद्धा के विना सत्य व्यवहारों को प्राप्त होने और दुष्ट व्यवहारों के छोड़ने को समर्थ नहीं होता ॥३० ॥
बार पढ़ा गया

संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

मनुष्यैः सत्यं ग्राह्यमसत्यञ्च त्याज्यमित्याह ॥

अन्वय:

(व्रतेन) सत्यभाषणब्रह्मचर्य्यादिनियमेन (दीक्षाम्) ब्रह्मचर्यविद्यादिसुशिक्षाप्रज्ञाम् (आप्नोति) (दीक्षया) (आप्नोति) (दक्षिणाम्) प्रतिष्ठां श्रियं वा (दक्षिणा) दक्षिणया। अत्र विभक्तिलोपः। (श्रद्धाम्) श्रत्सत्यं दधाति ययेच्छया ताम्। श्रदिति सत्यनामसु पठितम् ॥ (निघं०३.१०) (आप्नोति) (श्रद्धया) (सत्यम्) सत्सु नित्येषु व्यवहारेषु वा साधुस्तं परमेश्वरं धर्मं वा (आप्यते) प्राप्यते ॥३० ॥

पदार्थान्वयभाषाः - यो बालकः कन्यका मनुष्यो वा व्रतेन दीक्षामाप्नोति, दीक्षया दक्षिणामाप्नोति, दक्षिणा श्रद्धामाप्नोति, तया श्रद्धया वा येन सत्यमाप्यते, स सुखी भवति ॥३० ॥
भावार्थभाषाः - कश्चिदपि मनुष्यो विद्यासुशिक्षाश्रद्धाभिर्विना सत्यान् व्यवहारान् प्राप्तुमसत्याँश्च त्यक्तुं न शक्नोति ॥३० ॥
बार पढ़ा गया

मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - कोणताही माणूस विद्या, चांगले शिक्षण व श्रद्धा यांच्याशिवाय सत्य व्यवहार करू शकत नाही व दुष्ट व्यवहाराचा त्याग करू शकत नाही.