यदिन्द्र यावतस्त्वमेतावदहमीशीय। स्तोतारमिद्दिधिषेय रदावसो न पापत्वाय रासीय ॥
अथर्ववेद में सूक्त-८२ के 2 संदर्भ मिले
यदिन्द्र यावतस्त्वमेतावदहमीशीय। स्तोतारमिद्दिधिषेय रदावसो न पापत्वाय रासीय ॥
शिक्षेयमिन्महयते दिवेदिवे राय आ कुहचिद्विदे। नहि त्वदन्यन्मघवन्न आप्यं वस्यो अस्ति पिता चन ॥