नू नव्य॑से॒ नवी॑यसे सू॒क्ताय॑ साधया प॒थः । प्र॒त्न॒वद्रो॑चया॒ रुच॑: ॥
अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
nū navyase navīyase sūktāya sādhayā pathaḥ | pratnavad rocayā rucaḥ ||
पद पाठ
नु । नव्य॑से । नवी॑यसे । सु॒ऽउ॒क्ताय॑ । सा॒ध॒य॒ । प॒थः । प्र॒त्न॒ऽवत् । रो॒च॒य॒ । रुचः॑ ॥ ९.९.८
ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:9» मन्त्र:8
| अष्टक:6» अध्याय:7» वर्ग:33» मन्त्र:3
| मण्डल:9» अनुवाक:1» मन्त्र:8
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आर्यमुनि
पदार्थान्वयभाषाः - हे परमात्मन् ! (नव्यसे) नूतन जीवन बनाने के लिये (नु) निश्चय करके (नवीयसे, सूक्ताय) नयी वाणियों के लिये (साधया, पथः) हमारे लिये रास्ता खोलो और पहले के समान (रुचः) अपनी दीप्तियें (रोचया) प्रकाशित करो ॥८॥
भावार्थभाषाः - जो पुरुष अपने जीवन को नित्य नूतन बनाना चाहे, उसका कर्तव्य है कि वह परमात्मा की ज्योति से देदीप्यमान होकर अपने आपको प्रकाशित करे और नित्य नूतन वेदवाणियों से अपने रास्तों को साफ करे अर्थात् वेदोक्त धर्मों पर स्वयं चले और लोगों को चलाये ॥८॥
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आर्यमुनि
पदार्थान्वयभाषाः - हे परमात्मन् ! (नव्यसे) नवजीवनं सम्पादयितुं (नु) निश्चयं (नवीयसे, सूक्ताय) नववाणीभ्यः (साधया, पथः) विधिमार्गं विधेहि, पूर्ववच्च (रुचः) स्वदीप्तीः (रोचया) प्रकाशय ॥८॥